वास्तु शास्त्र क्या है?
भारतीय ज्योतिष की अधिकतर चीजों को विज्ञान अंधविश्वास करार देता है लेकिन ज्योतिष की एक अहम शाखा "वास्तु शास्त्र और ज्ञान" को विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है। वास्तु शास्त्र भवन निर्माण का विज्ञान है।
वास्तु शास्त्र क्या है ? (What is Vastu Shashtra)
"वास्तु" शब्द का शाब्दिक अर्थ विद्यमान यानि निवास करना होता है। निवास करने वाली जगह को बनाने और संवारने के विज्ञान को ही वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra in Hindi) कहा गया है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत आठों दिशाओं तथा पंच महाभूतों आकाश, भू, वायु, जल, अग्नि आदि के प्रवाह आदि को ध्यान में रखने बनाए गए हैं। इन सबके मेल से एक.ऐसी प्रकिया खड़ी की जाती है जो मनुष्य के रहने के स्थान को सुखमय बनाने का कार्य करती है।
क्या है वास्तु दोष (Vastu Dosh) साधारण भाषा में समझा जाए तो जब मनुष्य के रहने के स्थान पर किसी तत्व में कोई कमी आती है तो उसका जीवन कष्टकारी हो जाता है। वास्तु शास्त्र यह सुनिश्चित करता है कि भवन के आसपास का माहौल पंच-तत्वों और आठों दिशाओं के अनुकूल हो।
भारतीय ज्योतिष की अधिकतर चीजों को विज्ञान अंधविश्वास करार देता है लेकिन ज्योतिष की एक अहम शाखा "वास्तु शास्त्र और ज्ञान" को विज्ञान ने भी प्रमाणित किया है। वास्तु शास्त्र भवन निर्माण का विज्ञान है।
वास्तु शास्त्र क्या है ? (What is Vastu Shashtra)
"वास्तु" शब्द का शाब्दिक अर्थ विद्यमान यानि निवास करना होता है। निवास करने वाली जगह को बनाने और संवारने के विज्ञान को ही वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra in Hindi) कहा गया है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत आठों दिशाओं तथा पंच महाभूतों आकाश, भू, वायु, जल, अग्नि आदि के प्रवाह आदि को ध्यान में रखने बनाए गए हैं। इन सबके मेल से एक.ऐसी प्रकिया खड़ी की जाती है जो मनुष्य के रहने के स्थान को सुखमय बनाने का कार्य करती है।
क्या है वास्तु दोष (Vastu Dosh) साधारण भाषा में समझा जाए तो जब मनुष्य के रहने के स्थान पर किसी तत्व में कोई कमी आती है तो उसका जीवन कष्टकारी हो जाता है। वास्तु शास्त्र यह सुनिश्चित करता है कि भवन के आसपास का माहौल पंच-तत्वों और आठों दिशाओं के अनुकूल हो।
वास्तु शास्त्र के अनुसार=
कांटेदार वृक्ष घर के समीप होने से शत्रु भय होता
है। दूध वाला वृक्ष घर के समीप होने से धन का
नाश होता है। फल वाले वृक्ष घर के समीप होने से
संतति का नाश होता है। इनके काष्ठ भी घर पर
लगाना अशुभ हैं। कांटेदार आदि वृक्षों को
काटकर उनकी जगह अशोक, पुन्नाग व शमी
रोपे जाएं तो उपर्युक्त दोष नहीं लगता है।
* पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार
वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली यह सभी घर के
समीप निंदित कहे गए हैं।
* भवन निर्माण के पहले यह भी देख लेना
चाहिए कि भूमि पर वृक्ष, लता, पौधे, झाड़ी,
घास, कांटेदार वृक्ष आदि नहीं हो।
* जिस भूमि पर पपीता, आंवला, अमरूद,
अनार, पलाश आदि के वृक्ष अधिक मात्रा में
हो वह भूमि, वास्तु शास्त्र में बहुत श्रेष्ठ बताई
गई है।
* जिन वृक्षों पर फूल आते रहते हैं और लता एवं
वनस्पतियां सरलता से वृद्धि करती हैं इस
प्रकार की भूमि भी वास्तु शास्त्र में उत्तम
बताई गई है।
* जिस भूमि पर कंटीले वृक्ष, सूखी घास, बैर
आदि वृक्ष उत्पन्न होते हैं। वह भूमि वास्तु में
निषेध बताई गई है।
* जो व्यक्ति अपने भवन में सुखी रहना चाहते हैं
उन्हें कभी भी उस भूमि पर निर्माण नहीं
करना चाहिए, जहां पीपल या बड़ का पेड़
हो।
* भवन के निकट वृक्ष कम से कम दूरी पर होना
चाहिए ताकि दोपहर की छाया भवन पर न
पड़े।
* सीताफल के वृक्ष वाले स्थान पर भी या
उसके आसपास भी भवन नहीं बनाना चाहिए।
इसे भी वास्तु शास्त्र ने उचित नहीं माना है,
क्योंकि सीताफल के वृक्ष पर हमेशा जहरीले
जीव-जंतु का वास होता है।
* जिस भूमि पर तुलसी के पौधे लगे हो वहां
भवन निर्माण करना उत्तम है। तुलसी का
पौधा अपने चारों ओर का 50 मीटर तक का
वातावरण शुद्ध रखता है, क्योंकि शास्त्रों में
यह पौधा बहुत ही पवित्र एवं पूजनीय माना
गया है।
*मुख्य द्वार में वास्तु दोष होने पर किए जाने
वाले सरल उपाय
- मुख्य द्वार में वस्तु दोष होने पर घर के द्वार पर
घंटियों की झालर लगाएं, जिससे घर में
नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होगा।
- मुख्य द्वार पर क्रिस्टल बॉल लटकाएं।
- मुख्य द्वार पर लाल रंग का फीता बांधें।
द्वार के बाहरी ओर दीवार पर
पाकुआ दर्पण स्थापित करें।
- यदि घर का द्वार खोलते ही सामने
सीढ़ी हो, तो सीढ़ी पर पर्दा लगा दें।
वास्तु और ज्योतिष से जुड़ी ऐसी कई
छोटी-छोटी बातें रोजमर्रा - आसपास
के स्थान को सुखमय बनाने का कार्य करती है।
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