रोज नये नोट के जमाकर्ता और कालाबाजारी करने वाले पकड़े जा रहे हैं क्युकिं 2000 के नोट में रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग हुआ है !

#नये_नोट_का_सच


क्या आयकर विभाग वाकई इतना सक्रिय है या इसके पीछे छिपा कोई राज है कि नोटबंदी के बाद रोज नये नोट के जमाकर्ता और कालाबाजारी करने वाले पकड़े जा रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं, नोट में कोई चिप नही बल्कि एक प्रकार के रेडियो एक्टिव इंक का प्रयोग है। रेडियोएक्टिव स्याही का प्रयोग विकसित देशों में पहले से बतौर इंडिकेटर (सूचक/संकेतक) किया जाता रहा है। दरअसल P32 फास्फोरस का रेडियोएक्टिव आइसोटोप है जिसके नाभिक मे 15 प्रोटोन और 17 न्यूट्रोन होते हैं और यह रेडियोएक्टिव स्याही में न्यून मात्रा में प्रयोग किया जाता है। यह रेडियोएक्टिव वार्निंग टेप की तरह प्रयोग होता है जिससे एक ही जगह पर मौजूद लिमिट से अधिक होने पर इंडिकेटर के तौर पर नोटों की मौजूदगी को यह सूचित करता है। जिससे भारी मात्रा में लोग इससे युक्त नगदी का संग्रह करते ही पकड़े जा रहे हैं। नए नोट भी लोग छुपा कर वहीँ रख रहे हैं जहां सोना चांदी और अन्य अवैध कमाई के नोट है 6ऐसे में जांच के दौरान छिप कुछ नही रहा। दो हजार के साथ पांच सौ की नोट में भी यही इंक का प्रयोग है और जल्द आने वाली नये  नोट में भी यही प्रयोग हुआ है। हालाँकि क्षयांक यानि टी हाफ की वजह से एक तय समय बाद नोट की इंडिकेटर सक्रियता कम हो जायेगी इसलिए नये नोट भी भविष्य में बंद होंगे। यह इंक का इंडिकेटर कहाँ लगा है इसकी जानकारी सुरक्षा वजहों से नही दे रहा हूँ। इसे आप संकल्पना (हाइपोथिसिस) कहें या जो भी मगर सिर्फ आप लोगों के हित में लिख रहा हूँ क्योंकि आप ईमानदार नही बने तो यह नई नोट आपको ईमानदार बना देगी। जिसे शक दूर करना हो वह गूगल में रेडियोएक्टिव इंक खोज सकता है अन्यथा भ्रम पाले रहना भी बहुतों को जरुरी है।

 #जागरूक_रहें_ईमानदार_बनें

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