शौचालय साफ करने के लिए तैयार हैं - डिग्री धारक


सामयिक लेख :

स्वीपर बनने को तैयार हैं पेशेवर योग्यता वाले लोग :-
देश भले ही विश्व के सामने एक समृद्ध देश के रूप में आने की लगातार कोशिश में है लेकिन दस विकसित देशों की सूची में भारत दूर दूर तक नहीं, ना ही खुशहाल देशों की सूची में । आप यकीन नहीं करेगें कि भारत का खुशहाल देशों की सूची में 133वां स्थान है ।
इन सबके इतर हम बात यदि बेरोजगारी की करें तो हाल में ही सफाई कर्मचारियों यानी स्वीपर की नॉकरी की 14 वैकेंसी के लिए 4600 इंजीनियर, एमबीए वालों ने आवेदन किया । बेरोजगारी का आलम देखिये कि इस पद को पाने की दौड़ में कई पेशेवर योग्यता वाले लोग शामिल हैं । यह वैकेंसी तमिलनाडु विधानसभा सचिवालय में निकली हैं जिसके लिए कई डिप्लोमाधारक भी एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं ।
अब आप स्वयं ही अंदाजा लगा लीजिए कि किस कदर बेरोजगारी फैली हुई है कि शौचालय साफ करने के लिये भी लोग तैयार बैठे हैं । इस समय भारत की 11 फीसदी आबादी लगभग 12 करोड़ लोगों के पास रोजगार नहीं है और यही एक बड़ी वजह है जो भारत को विकसित देशों की सूची में शामिल करने से रोकती है । पूरे विश्व में बेरोजगारी के मामले में भारत की तरक्की ही हुई है ।
साल 2018 में आयी इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (ILO) रिपोर्ट के मुताबिक " भारत में बेरोजगारी का स्तर पिछले साल की तुलना में इस साल एक स्तर ऊपर बढ़ गया है । रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 में भारत में 1 करोड़ 83 लाख लोग बेरोजगार थे और साल 2018 में बेरोजगार लोगों की संख्या बढ़कर 1 करोड़ 86 लाख हो गई है ।"
इसके अलावा इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान अर्थशास्त्री मोहन गुरुस्वामी ने आंकड़े शेयर किये थे जिसमें भारत रोजगार 2016 की रिपोर्ट के अनुसार " भारत में कुल 11 करोड़ 70 लाख बेरोजगार थे, जिसमें से 1 करोड़ 30 लाख खुले तौर पर, 5 करोड़ 20 लाख प्रच्छन्न बेरोजगारी और वहीं 5 करोड़ 20 लाख ऐसी महिलाएं शामिल थीं, जो काम नहीं करती थीं । उन्होंने बताया भारत में 1.3 बिलियन कुल आबादी में से 11 करोड़ 70 लाख लोगों को आज भी नौकरी नहीं मिली है ।"
श्रम मंत्री का कहना है कि सरकार कोई ठोस कदम नहीं उठा रही । सरकार भले ही दावे करती रहे लेकिन पिछले 20 सालों में बेरोजगारी की दर इस समय सबसे ज्यादा है । जिसका साफ साफ उदाहरण स्वीपर की नॉकरी के लिए आये आवेदन हैं ।
बेरोजगारी भत्ता की बात करें तो यह एक तसल्ली देने का तरीका है, जो महीने के सौ रुपये नहीं कमा सकते वह सरकार से बेरोजगारी भत्ता लेलें । यानी जैसे तैसे कमाने वाली जनता का पैसा, कुछ भी ना करने वाली एक ऐसी भीड़ को दिया जाता है जो बेरोजगार कहलाती है ।
इस तरह क्या बेरोजगारी कम हो सकेगी ? आईटी सेक्टर में हजारों लोग 8 हजार, 10 हजार रुपये में काम कर रहे हैं ताकि बेरोजगारी का धब्बा ना लगे और यही लोग जब तंग आ जाते हैं तो बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि होती है । यही एक बड़ी वजह है कि 9 घंटे की शिफ्ट को कंपनियां 10 से 14 घंटों का बना देती हैं लेकिन उस हिसाब से पैसा नहीं देतीं । मजबूर होकर इंजीनियर नॉकरी छोड़ देते हैं फिर किसी धंधे में लग जाते हैं ।
इस तरह बेरोजगारों की संख्या में मुनाफा ही होगा ।


--- जयति जैन "नूतन" ---


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