लूट - सच्ची घटना

मैं आ रही हुं तू तैयार रहना, मेरे घर आज एक समारोह है दिनभर मस्ती करेगे , टीना ने फोन पर मुझसे बोला !
मैने मना कर दिया क्युकी मेरे घरवाले किसी के घर अकेले मुझे जाने नहीं देते थे, मैं होस्टल मे रहती थी उस समय झांसी उ.प्र. के !
जेसे तेसे बडी मेहनत के बाद मैने मां को मना लिया कि दिनही दिन की बात है और वो मुझे नगरा से , इतनी दूर से लेने आ रही है तो जाने दे, शाम को जल्दी वापिस आ जाउगि !
दिन था हनुमान जयंती का, मेरी दोस्त टीना वो मुझे होस्टल लेने आयी, स्कूटी से ! रास्ते भर हम दुनियादारी की बाते करते रहे ! मेरे होस्टल से उसका घर करीब 10 km से कम नहीं था ! हम घर पहुचे खूब आओ भगत हुई मेरी, समारोह था कोई महिलाओ का, सबके साथ मंदिर गयी, खाया पिया दिन्भर आराम !
शाम को 6 बजे मेने उससे बोला चलो मुझे वहा तक छोड़ दो, जहा टेक्सी मुझे मिल जाये होस्टल के लिये ! मेरे घर वालो के लगातार फोन आ रहे थे कि होस्टल पहुचो ! लेकिन टीना के घरवाले नहीं आने दे रहे थे, बोल रहे थे कि रात यही रूक जाओ !
लेकिन मेरी जिद के आगे उन सभी को झुक्ना पडा और करीब शाम 7 बजे, वो मुझे होस्टल छोड़ने के लिये स्कूटी से निकली ! हनुमान जयंती थी तो भीड़ भी बहुत थी, लेकिन
जब हम वस्ती से आगे निकले कुछ तो सुन्सान रास्ता हो गया ! थोडीदेर बाद
किसी ने मेरा चलती गाडी से पर्स खीचा, हैंड बेग !
लेकिन समझ नहीं आया, बस गाडी डगमगा गयी ! टीना ने गाडी सम्भाली, दुबारा इतनी तेज़ स्पीड से मेरा हैंड बेग खीचा गया पीछे से, की गाडी सम्भल ही नहीं पायी और हम दुर्घटना का शिकार हो गये, हमारा एक्सीडेंट हो गया !
पता ही नहीं चला केसे क्या हुआ अचानक से, मैं गाडी की दूसरी तरफ़ गिरी कमर के बल और टीना गाडी के साथ सड़क पर घसिटती चली गयी ! मुझसे करीब 20 कदम की दूरी पर ! जब होश आया कि हम गिर चुके है तब देखा की 2 लड़के तेज़ स्पीड से मेरा बेग लेकर जा चुके है ! रोड पर लाइट नहीं थी, आने जाने वाले वाहन रुकना शुरू हुए ! सभी ने अपने मोबाइल और गाडी की लाइट जला रखी थी ! मेरा बेग वो लुटेरे ले गये ! जिसमे मेरे 2 फोन, वोटर आईडी, पैन कार्ड और 1200 रुपये थे साथ ही कुछ और भी छोटा मोटा सामान !
तभी एक आदमी मेरे तरफ़ आया और मुझे उठाने की कोशिश की लेकिन मेरे बाये हाथ में काफ़ी चोट आ ग्यी थी और कमर के बल गिरना बहुत मेहगा पडा, जेसे तेसे खडी हुई तो टीना की ओर बढी, उसके पास भी आदमी खडे थे मेने और एक आदमी ने मिलकर उसका पैर गाडी के नीचे से हटाया ! दूसरे लोगों ने गाडी उठाई !
वही पर एक अंकल थे जो टीना को जानते थे हमारे बिना बोले ही उन्होने टीना के घर फोन कर दिया !
और हम दोनों को लेकर उसके घर वापिस आ गये, डा. को दिखाया ! पता चला की हम दोनों की हड्डीया सलामत है, लेकिन चोट काफ़ी आयि है मुझे मूदी चोट और उसे खरोच वाली !
मेरी मां ने टीना के घर करीब रात 8 बजे फोन किया तो टीना की मां ने घबराहट मैं हमारे दुर्घटनाग्रस्त होने की बात मेरी मां को बता दी !
अब स्थिति बिगड़ गयी, मुझे अपनी चोट से जायदा फर्क पड रहा था कि घरवाले मुझे सुना सुना के मार डालेगे कि मना किया था जाने को! हुआ भी ऐसा ही!
मेने बडी मुस्किल से अपनी मां को समझाया कि में ठीक हुं तो उन्होने बोला ठीक हो तो अभी होस्टल जाओ ! उधर टीना के घरवाले साफ़ मना कर दीये कि ऐसे हाल में नहीं जाना है होस्टल ! बडी मुश्किलो से मे होस्टल पहुची, वहा के मेरे दोस्त, वार्डन को खबर की गयी ! मेरे मां बाप तैयार हो गये झान्सी से वापिस मुझे घर लाने के लिये कि ना जाने कितनी चोट है,
में फोन पर बहुत चिल्लयि कि मैं ठीक हुं, जरा सी खरोच है बस परसो पेपर है मेरा ! बहुत रोका चिल्लाया तब मां को तसल्ली मिली कुछ कि ठीक होगी वर्ना इतना केसे चिल्लाती और बोल दिया गया, आज के बाद कहीं नहीं जाना है !
पेपर देकर घर आओ वापिस !
मेरे हाल बेहाल थे, कमर मे काफ़ी चोट आयी ना में बेठ पा रही थी ना ही खुद से अपना कोई काम कर पा रहि थी !
होस्टल में मेरा कोई बेस्ट फ्रेंड नहीं था फ़िर भी कुछ लड़किया हाल जान्ने आ गयी ! एक लड़की थी नीलम नाम था उसका वो मेरी अच्छी दोस्त नहीं थी फ़िर भी मुझे नहलाने से लेकर, चोटी करना, नाश्ता कराना, कपडे पहनाने से लेकर सारा काम उसी ने किया ! जब मे एक्सीडेंट के बाद होस्टल आयी तो होस्टल कि कुछ दोस्तों ने मेरे कपडे बदलवाये, हाथमुंह धुलाया ! मेरे बाजू मे बेग को खीच्ने के निशान थे क्युकि जो बेग मैं ली थी वो कपडे का था तो उसकी डोरी भी कपडे की थी, तो उन लोगों ने जबर जस्ती पीछे से बेग खीचा, और वो खिचा नहीं दुबारा खीचा तो बेग की डोरी जब टूटी तब बेग वो ले जा पाये तो मेरे कंधे और बाजू की मांसपेशिया चोटिल हो गयी थी निशान पड गये थे काले नीले !
एक दिन बाद से मेरे प्रैक्टिकल इग्जाम शुरू हो गये, 5 प्रैक्टिकल और 10 दिन का समय ! टीना के घर से इग्जाम के समय गाडी आती थी और मुझे होस्टल से लेकर कोलेज़ तक छोड़ देती थी और इग्जाम के बाद वापिस होस्टल ! भगवान का शुक्र था कि मुझे चलने मे जायदा तकलीफ़ नहीं होती थी ! लेकिन जायदा चल नहीं सकती थी, जेसे तेसे इग्जाम भी निपट गये, और अब समय था घर वापिस लौटने का छुट्टीयो मे, दर्द था कमर मे और हाथ मे पर पहले से बेहतर थी !
बस से घर जाती थी तो राश्ते भर के गड़डो ने हालत खराब कर दी ! घर पहुची तो मां देखकर बहुत रोयी मुझे! उनको यकीन नहीं था कि मुझे चोट नहीं लगी ! सब धीरे धीरे ठीक हुआ !
मैं और टीना खुद से और दूसरो से एक ही बात बोलते थे कि भला हो उन चोर - लुटेरो का जिन्होने हमारी स्कूटी को टक्कर नहीं मारी ना ही कोई धक्का दिया ! वर्ना रोड़ पर दोनों तरफ़ काटो वाली झाडिया थी अगर हमारी गाडी रोड से उतरती तो ना ही हम बचते, और अगर बच भी जाते तो शरीर पर वो निशान बनते कि इसी घटना को बयां करते रहते, जीना मुश्किल हो जाता !
दूसरी खुशी इस बात से थी कि हमारे सिर और चेहरे पर चोट नहीं आयी लेकिन
मेरी कमर की मूंदी चोट केसे कब ठीक हुई पता नहीं चला, मुझे आज लगता है कि कोई मामूली फ्रेकचर था शायद तभी इतनी परेशानी हुई थी जिसने बिल्कुल ठीक होने मे 1 महीना ले लिया और टीना को ठीक होने मे 12- 15 दिन लगे उसको दाये हाथ पैर मे साइड चोटे थी, सड़क पर घिसट जाने की वज्ह से !
ये बात 6 साल पुरानी हो गयी लेकिन आज भी हनुमान जयंती आती है तो इस दर्द को ताज़ा कर देती है !

लेखिका= जयति जैन


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