कहानी= सौतेली मां


कहानी= मेरी नयी मां अथवा सौतेली मां
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मनन नाम का एक व्यापारी, जिसकी बीवी 2 साल के बेटे को छोड़ चल बसी ! वो बहुत दुखी रहता था, लेकिन बेटे मेहुल को जब भी देखता सुकून से भर जाता !  मनन और गीता की शादी यही कोई 5 साल पहले हुई थी, दोनों का दाम्प्त्य जीवन संतुष्ट था, ना पेसो की भरमार ना ही कमी ! 3 साल लगातार इलाज और कोशिशो के बाद मेहुल का जन्म हुआ था ! एक बार जब 3 साल तक गीता गर्भवति नहीं हुई तो उसकी सास और मुहल्ले वालो ने खूब बुरा भला कहा, लेकिन तभी मनन ने बीच मे आकर गीता का बचाव किया और बोला कि डाक्टर ने उसमे कमी बताई है, अभी
इलाज चल रहा है, इसमे गीता की कोई गलती नहीं है ! देता भी क्युं नहीं
गीता का साथ, गीता वो लड़की थी जो अपने मां बाप की शानो शौकत छोड़ मनन को जीवनसाथी स्वीकारी थी, प्रेम विवाह किया था दोनों ने !
मेहुल जब डेढ साल का हुआ तो गीता दुबारा गर्भवति हुई, लेकिन बहुत बीमार रहने लगी उसे पीलिया हो गया और वह 2 साल के मेहुल को मनन की गोद मे छोड़ गयी ! 

अब मनन और उसकी मां मेहुल को सम्भाल रहे थे, कभी कभी मेहुल इतना मचल जाता मां के लिये की किसी से नहीं सम्भाले संभलता !
मेहुल मां के लिये रोता तो मनन को गीता की कमी रुला जाती ! मेहुल अपनी मां को पहचानने लगा था, बच्चो के साथ यही परेशानी रहती है यदि वो किसी को पहचानने लगते है खासतौर पर अपनी मां को तो बहुत परेशानी हो जाती है क्युकी हम उन्हें समझा नहीं सकते !
वक्त गुजरा और मेहुल 5 साल का हो गया, अब वह मां के लिये नहीं मचलता वो दूसरे बच्चो को उनकी मां के साथ देखता था तो बुरा तो लगता था लेकिन अब वह समझ चुका था कि उसकी मां नहीं है जो हैं वो उसकी दादी और पापा ही है !
गीता के जाने के बाद मनन अब अपनी सारी कमाई को इकटठा करने मे जुट गया, पाई पाई पेसा बचाने लगा ! ताकि मेहुल की जरूरते पूरी हो सके ! मनन की दूसरी शादी के लिये बहुत रिश्ते आये, लेकिन उसने हामी नहीं भरी ! एक बार सीमा नाम की एक तलाकशुदा महिला का रिश्ता आया और मनन ने हामी भर दी ! कोई भी समझ नहीं पाया कि हुआ क्या ? आनन फानन मे मनन ने उससे शादी करली !
मेहुल को नयी मां मिल गयी ! मेहुल 5 साल का बच्चा जिसे अब ये समझ नहीं आ रहा था कि जो नयी औरत घर मे आयी है उसे वो क्या बोले केसे बोले ? शादी के दूसरे दिन मेहुल को गोद मे बिठा मनन अपने हाथो से खाना खिला रहा था और बोला- मेहुल तुमने अपनी मां से बात की, जो काम दादी करती थी तुम्हारा अब वो करेगी ! तुम्हे जो भी खाना हो, कुछ भी चाहिये अपनी मां से बोलना !
सीमा..अ अ अ
मनन से सीमा को बुलाया और बोला आज से तुम मेरे बेटे को खाना खिलाओगी ! सीमा ने उत्सुकता से मेहुल को गोदी मे लिया ही था कि मेहुल ने थाली फेक दी और कमरे मे चला गया, किसी को भी समझ नहीं आया कि हुआ क्या ?
दादी उसे कमरे से बहला फ़ुसला कर बाहर लायी ! और सभी के सामने पूछा क्या हुआ तुम्हे ?
मेहुल ने सारी बाते बता दी कि पडोसवाली चाची ने उसे क्या क्या बोला !
दादी गुससे मे घर से बाहर निकली और पडोसवाली के घर धावा बोल दिया !
" कहा मर ग्यी, मुंहजली नाशमीटि... मेरे मेहुल को भड़काने वाली ! क्या
बोल रही थी मेरे बच्चे से कि उसे घर से बाहर निकालने के लिये दूसरी शादी की मेरे बेटे ने ! सौतेली मां कभी सगी नहीं बन सकती ! खुद सौतेली है कमिनी खा गयी अपने पति की पहली औलाद को तो दूसरे को भी ऐसा ही समझती है , बाहर आ... " मुह्ल्ले वालो को फ्री मे तमाशा देखने मिल रहा था ! सीमा और मनन बड़ी मुश्किल से मां को मनाकर लाये ! मेहुल सब देख रहा था, तभी
पडोसवाली रीता काकी आयी और मेहुल से बोली- अकसर सौतेली मां को लेकर हमारी धारणा गलत ही होती है ! क्युकि हमने हमेशा गलत पहलू को ही अपनी सोच का हिस्सा बना रखा है ! जबकि हर जगह एक जेसा
नहीं है ! कुछ सौतेली मांये अच्छी हैं तो कुछ बुरी ! लेकिन हम और हमारा
समाज उस मक्खी की तरह है, जो पूरा शरीर छोड़कर सिर्फ घाव पर ही बैठती है ! आज हम आस पास देखे तो पायेगे कि कुछ सौतेली मांये बलिदान की प्रतिमूर्ति हैं ! जिन्होने घर को संवारा, बच्चो को सम्भाला और बच्चे भी उन्हें अपनी सगी माँ की तरह ही मानते हैं ! लेकिन कुछ बुरी मांये भी हैं जिन्होने अपने सौतेलेपन से बच्चों की जिंदगी बर्बाद कर दी ! इसीलिये हम हमेशा बुरे लोगों को ही याद रखते हैं ! "
दादी भी बोली कि एक मौका दो अपनी नयी मां को, अगर अच्छी नहीं निकली तो बात मत करना कभी, हम उसे घर से निकाल देगे !
मनन भी समझाने मे कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था तो बोला, तुम्हारे लिये जो नया कमरा बनवाया है ना वो तुम्हारी नयी मां के कहने पर बनवाया है ! तुम्हे खुद से अलग करने के लिये नहीं बल्कि इसलिये कि जिस कमरे मे तुम अभी मेरे साथ रहते हो बो काफ़ी भरा हुआ है सामान से, दिन पे दिन काम बढ रहा है तो तुम्हे खेलने के लिये जगह कम मिलती है, अबसे तुम्हारी मां का सामान भी उसी कमरे मे, और तुम चाहते भी थे तो नया एक अलग कमरा तुम्हारे लिये हो गया ! तुम्हारे सारे खिलोने, किताबे, नया कम्प्यूटर अभी 2 कमरो मे बंटा है अब सब एक ही कमरे मे है ! तुम्हारा अपना बडा सा कमरा और तुम्हे रात को अकेले नहीं सोना है तो मेरे साथ सो जाना या दादी के साथ और सीमा के साथ भी !
मेहुल इतनी भारी भरकम बात को बस इतना समझा कि ये अच्छी हैं, मुझे इन्हे अपनी मां मान लेना चाहिये ! अच्छी नहीं निकली तो बात करना बंद कर दुंगा ! मेहुल भी कोई कसर नहीं छोडना चाहता था इसीलिये सारे सवाल पूछना ही जरुरी
समझा और बोला- आपने इनसे शादी क्युं कि वो एक आन्टी थी जिनके 2 छोटे बच्चे थे, मेरे बराबर उनसे क्युं नहीं की, मैं अब किसके साथ खेलुगा ! दादी बोली बेटा अगर वो आन्टी कहती कि मेरे दो बच्चे है मुझे मेहुल नहीं चाहिये इसे कही भेज दो तब ! ऐसे केसे भेज दो, ये मेरा घर है मेहुल गुस्से मे बोला ! मनन ने उसे और अपनी मां को सच बताया कि -
सीमा से शादी इसलिये की क्युकि ये कभी मां नहीं बन सकती इसलिये कभी मेहुल को हम सबसे अलग नहीं भेजेगी ! शादी से पहले ही सीमा ने मुझसे मेहुल की फोटो मांगी थी कि वो अपने होने वाले बेटे को देखना चाहती है ! सीमा पढी लिखी है, समझदार है मेहुल की हर तरह से मदद कर पायेगी बस इसीलिये मेने सीमा के लिये हां बोल दिया !
सीमा दूर खडी मेहुल को देख रही थी, उसके चेहरे पर मातृत्व के भाव झलक रहे थे ! खुश होकर मेहुल बोला आज से मे इन्हे मां बुलाउगा, अगर ये बुरी निकली तो... तो हम इन्हे इनके घर वापिस छोड़ आयेगे, मेहुल को गोद मे उठाकर मनन ने बोला !
ठीक है, लेकिन इनसे बोल दो कि ये मुझे ऐसे ना देखा करे, जेसे अभी देख रही हैं जब से आयी हैं मुझे ही देखती रहती हैं , मेहुल ने शिकायत की !
सीमा पास आयी और बोली नहीं देखूगी पर अब तुम मुझे मां बोलोगे समझे, इनसे उनसे ऐसा कुछ भी नही ! मेहुल नीचे सिरकर के मुस्कुरा दिया, और जेसे ही सीमा ने बाहे फैलाई मेहुल को गोद मे लेने के लिये तो * मेरी नयी मां * कहकर मेहुल सीने से लग गया, और यह द्रश्य सबकी आंखे नम कर गया !
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 जयति जैन (नूतन), रानीपुर झांसी उ.प्र
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वर्तमान लेखन- सामाज़िक लेखन, दैनिक व साप्ताहिक अख्बार, चहकते पंछी ब्लोग, साहित्यपीडिया, शब्दनगरी व प्रतिलिपि वेबसाइट पर

पता - जयति जैन c/o डा. प्रमोद कुमार जैन पारस होस्पिटल बस स्टैंड
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