बेटों के बीच में भेद-भाव क्युं ???

बडे बेटे के साथ भेद-भाव क्युं =
ये आज कि सच्चाइ है जो घर की चार दीवारों के बीच रहती है !!!

अक्सर देखा जाता है,
मां-बाप अपनी सारी दौलत छोटे बेटे को ही देते हैं, जेसे ये एक प्राचीन सभ्यता हो !
और बुडापे में घर से बे-घर किये हुए बडे बेटे के पास मुंह उठा के आ जाते हैं, क्युं ???
आप सोच रहे होगें में केसे बोल रही हुं,
लेकिन ये सोचिये अगर हर बेटे के लिये मां-बाप इक हैं तो मां-बाप के लिये भी सारे बेटे इक जेसे ही होने चाहिये !

इसमे दोराय क्युं ?
पहले घर से बेदखल कर दिया, रिश्ते तोड़ दीये, लेकिन जब छोटे बेटे- बहु ने 50 ताने मारे, खरी-खोटी सुनाइ ... तब
अपने आप ही होश ठिकाने आ जाते हैं कि क्या सोचा था और क्या हो गया !
फिर याद आती है उन बेटे-बहु की जिन्होंने हमेशा बहुत खयाल रखा, इज़ज़त दी ! और चुप-चाप सब सहन किया और खाली हाथ घर से निकल गये !
तब मां-बाप को अपने द्वारा किये भेद-भाव पर शर्मिन्द्गी होती है, और उसी शर्मिन्द्गी के साथ वो बडे बेटे के घर को अपना बसेरा बनाते हैं !
जो बेटे बिना कुछ लिये-दिये अपनी बीवी बच्चे के साथ निकल जाते हैं, वही उचाई को पाते हैं और वही मां-बाप के बुडापे का सहारा बनते हैं !
और वो बहु जो कल तक एक आंख नहीं सुहाती थी वही अब बेटी लगने लगती है !
घर की जो बडी बहुये होती हैं वो अपने सास-ससुर के बहुत अत्याचारों को सहन करती हैं और चुप रहती है ! फिर उससे छोटी आने वाली बहुये इतनी सहनशील नहीं होती हैं और
सास-ससुर को सही रास्ते पर ला देती हैं !
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी !!!

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