उपासना की कविताये ...

1- मुसाफिर

कैसे कैसे रास्ते तय किये.
उस के कदमो के निशान आज भी 
उस रास्ते पर मिलेगे.
कुछ दूर तक सफ़र था हमारा. 
फिर वो हमसफ़र कुछ दूर तक चला,
मेरे हाथों को थाम के बहुत दूर तक ले गया.

जब वापिस आये तो 
खुद तो वापिस आया वो हमसफर.
पर मुझे वही छोड़ आया.
जहाँ तक ख्वावों का शहर था,
मै बनके मुसाफिर 
आज भी इंतजार करती हूँ,
शायद कभी आये मेरा वो हमसफर.
जो छोड़ गया अधूरे सफ़र मे !



2- यादो का सफ़र
मन से मिले जो मन मेरा
तो तन का मिलना जरूरी नही
चाहत भी रही नही किसी की
तुम जो आ गये तो हर वक्त 
सिर्फ तुम्हारा है,
ना आये अगर तो ,
हर ख्वाब टूट जायेगा मेरा.
कोई साथ नही तो 
कैसी ज़िंदगी है.मेरी
जिसको देखा ख्वाबो मे, 
वो तस्वीर सिर्फ तुम्हारी है.
मेरी यादो के सफ़र के हमसफ़र.
आने मे देर करना नही,
 क्या पता  
तुम्हारे आने तक 
ये साँसे टूट ना जाये कहीं..
आज तक मिले तो कभी नही
बस दिन रात सिर्फ इंतजार ही किया!


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3- निशान 

हवा के झोखे से महकती
उसकी याद आयी,
देख बारिश की बूँदे तो
उसकी याद आयी,
भीगतें रहे हम
उसकी यादो की बारिश मे,
ये क्या अजब तमाशा है
ज़िन्दगी का
जो कह गये की पलट कर देखना
मत उस रास्ते को,
मगर आज भी हम
उनके कदमो के निशान देख रहे है !
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4- उलझन
   
वो कभी कहते है कि
उन्हे मोहब्बत नही हमसे
कभी जो छलक जाये जो आँसू आंखो से मेरे,

तो आंखे उनकी भी नम हो जाती है
फ़िक्र नही मेरी फिर भी
क्युं याद आते है उनको हम
जब तक आवाज नही सुनते मेरी
तब तक फिक्र रहती है मेरी
जब पूछती हूँ मै
कि क्या याद आ रहे थे
वो झुंझलाहट से बोलना तुम्हारा
और फिर मुस्कुराना तुम्हारा
ये कैसी उलझन मे हूँ मै
क्या मोहब्बत है तुम्हे हमसे
या फिर सिर्फ हमदर्द बन के रहना है जिन्द्गी भर!!!

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5-  गुलाबी सपने

मेरे ख्वाबों मे उनका आना
फिर मुझे देख कर धीरे से
मुसकुराना,मै भी
देख कर तुम्हे पागल सी हो जाती
हूँ,सारे जहाँ की
खुशी बस तुम मे ही पा लेती
हूँ,ना जाने क्युं तुम्हारे
रुठने से मेरी आंखे भर आती 
है,तुम आते हो रोज
याद बनकर
और फिर यादों मे हम
खो जाते है
इन गुलाबी ख्वाबो मे हम पास
तुम्हारे आ जाते
है,भुल कर सारी
दुनिया को
बस तुम मे ही
मिल जाते है !!

  
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Writer- उपासना

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