वेदिक साहित्यों में लिखा सच या झूठ

सच या झूठ-

बात यहां मे हमारे प्राचीन वेदिक साहित्यों की कर रही हुं, क्युकि इन साहित्यों में नारी को तुच्छ कहा गया है, उसकी तुलना जानवरों से की गयी है !
मनु-स्म्रति की सच्चाई आज दुनिया के सामने है !





कुछ लोगों का कहना है
गौर करियेगा🤔 कि-
"""
बहुत कम लोग जानते है की हमारी बहुत सी धार्मिक किताबें,शास्त्र और इतिहास के साथ
अंग्रेज़ो ने बहुत छेड़खानी करी है ! ये विक्षेप केवल मनु स्मृति मे नहीं डाले गए बल्कि बहुत सारे अन्य ग्रंथो मे डाले गए और अंग्रेज़ो की बहुत बड़ी टीम थी जो इस कार्य मे लगी हुई थी कोई साधारण अंग्रेज़ो ने ये काम नहीं किया था! आर्य बाहर से आए उन्होने भारतीय संस्कृति को खत्म कर दिया हमारे पूर्वज गौ मांस खाते थे !ना जाने ऐसी हजारो हजारों बातें और.संस्कृत के शब्दो का गलत अर्थ निकाल कर हमारे शास्त्रो मे इन अंग्रेज़ो द्वारा भर दिया गया जो आज भी हमको जानबूझ कर पढ़ाया जा रहा है ताकि हम गुमराह होते रहे हम हिन्दू अपनी अपनी जातियो मे ऊंच - नीच करते ! और हमारे मन हमारी ,संस्कृति ,सभ्यता के प्रति गलत भावना पैदा हो !! """""
अब इसके विपरीत,
कुछ लोगों ने इस बात का खन्डन किया है कि=
**** ई०पू० से लेकर आज तक का इतिहास मौजूद है, इस बात को आप किस आधार पर कह रहे हैं कि अंग्रेजों ने इसमें मिलावट की है?
जो व्यवस्था धर्मग्रथों में है उसका जिक्र ई०पू० के इतिहास में दर्ज है आप उत्तरवैदिक कालीन साहित्य, बौद्ध साहित्य, जैन साहित्य में मौजूद है यहां तक कि मेगस्थनीज कृत इंडिका में और कयी यात्रियों ने जिक्र किया है ।
और अग्रेंज तो 17 वीं शताब्दी में भारत आने शुरू हुये थे, इसी प्रकार, मुस्लिम आक्रमणकारी 712 ई० के बाद । अग्रेज संस्कृत नही जानते थे, न मुस्लिम ये भारत आने के बाद सीखी है उनने,
हडप्पा से पहले की सभ्यता मेसोपोटामिया सभ्यता है जहां भी इस तरह का कोई साक्ष्य नही
हैं । ****
अब

मेरा इस पर ये मानना है कि यदि अंग्रेज़ों ने शास्त्रो के साथ छेड़खानी की है और हिंदू इस बात को जानते हैं, तो वो इसे सही क्युं नहीं कर पाये अब तक ???
जब पता है सच तो झूठ क्युं पड़ने दे रहे पाठकों को !!!
लेखिका- जयति जैन
रानीपुर, झांसी...

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