दिल में उथल-पुथल होते रहना चाहिये...

दिल में उथल-पुथल होते रहना चाहिये... ताकि नीचे दबे लोग फ़िर याद आते रहें ... याद तो करके देखो उसे,
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी !

सुना है ना,
जिन्द्गी के सफ़र में गुजर जाते है जो मकां,
वो फ़िर नहीं आते, वो फ़िर नहीं आते !!!
ये गाने की पंक्ति ही सही लेकिन वो सच्चाइ है जिससे आप भाग नहीं सकते ! हम स्कूल छोडते हैं, फ़िर कोलेज़ फ़िर नौकरी एक जगह से दूसरी जगह...
इन सारे घटनाक्रम में हम पीछे छोड़ कर आते हैं, कुछ अपने कुछ सपने !!! 😔
लेकिन दुबारा उन अपनों और सपनों को साथ जोड़ने की कोशिश नहीं करते बस यहीं तो आप इस गीत को सच कर देते हैं !
कौन कहता है कि जिनसे खून का रिश्ता है, वही अपने हैं ! वास्तव में अपने तो वो हैं जिनसे आपके सपने और उनके सपने आप से जुडे हैं !
कोई खास ( जरुरी नहीं प्रेमी-प्रेमिका ही हो, वो खास आपका दोस्त, रिश्तेदार, हमदर्द भी तो हो सकता है ) जिसे हम एक सफ़र में अपना अज़ीज मानते थे, याद भी है आज कि कोई था, और वो कहा केसा - किस हाल में है !
नहीं है ना याद,
रास्ते अलग हो ग्ये तो दिल भी अलग कर लिये, उसके बिना आगे बडे तो उसके साथ ही ना सही, पहचान- दोस्ती तो कायम रखो !
याद तो करके देखो, उसे चेहरे पे हल्की सी हसी और दिल से उदासी गायब ना हो जाये तो कहना !


लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी !

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