मौत का राज मरने वाले के साथ चला जाता है !!!

मौत का राज
लेखिका= जयति जैन

मौत को गले लगाना भी कोई आसान नहीं होता। पृकृति का विधान भी ऐसा है जो व्यक्ति नहीं मरना चाहता उसे मौत आसानी से आ जाती है, परन्तु जीवन से निराश व्यक्ति जो जीना नहीं चाहता उसे मौत नहीं आती। जब
परिवार में वे समायोजित नहीं हो पाते उन्हें अपना ही घर यातनागृह नजर आने लगे, तो असहाय लोग क्या करे?
उन्हें मरना ही सबसे आसान तरीका लगता है!
जो इंसान खुदखुशी/आत्महत्या करता है, वो अपने साथ ही उसकी वज्ह ले जाता है, और ता-उम्र किसी को राज़ का पता नहीं लगता कि आखिर ऐसा किया क्युं था ?
ऐसा ही किया इन सेलेब्रिटी ने अपने साथ
वर्षा भोस्ले, सिल्क स्मिता, जिया खान, पर्वीन बोबी, नफिसा जोसेफ़ और हाल में ही प्रत्युशा बनरज़ी !

ये सेलेब्रिटी थी तो सबको पता लग गया, रोज़ हज़ारों मर रहे आत्महत्या करके, उनको कोई पूछने वाला नहीं सिवाय उनके अपनों के !
वेसे भी आम इंसान हो या सेलेब्रिटी सबकी मौत पे 2-4 दिन ही रोते है, अपने भी ! तेरविं में सब हस्ते हुए आते जाते है, तेरवि खत्म अब सब वापिस पुरानी जिन्द्गी!
आत्महत्या करने वालों को दोष देना में सही नहीं समझती, क्युकिं वो इस कदर परेशान हो चुके होते हैं, कि उन्हें परेशानियों का एक यही उपाय समझ आता है !
स्थिति बनती भी ऐसी तभी  है जब आप किसी पर बेहद भरोसा करो और वो आपका भरोसा तोड़ दे, या आपको अकेला छोड़ दे या तब जब कोई आप पर भरोसा ना करे !
इन बातों की वज्ह से भी कम्जोर दिल वाले लोग मरना पसंद करते हैं!
लेकिन सबसे बडी वज्ह जो बनती है वो ये कि,
आपकी जिन्द्गी में कोई बेहद खास इंसान है और वो आपको मानसिक रूप से यातना दे, आपको छोड़ दे... ऐसी स्थिति में जायदातर लोग आत्महत्या ही करते हैं !
फ़िर चाहे कोई सेलेब्रिटी हो या आम इंसान...
मरते तो रोज़ हैं हज़ारों की तादात में आत्महत्या से,  वज्ह बस बदल जाती हैं !
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झांसी उ.प्र.

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