एक आम लड़की

सपने बुनती
आसमान छूने के
ग़म में मुस्कुराती
एक आम लड़की
कुछ कहती कुछ सुनती
अपनों को खुश रखती
कभी सहम जाती तेज हवाओ से
कभी तूफ़ान से जूझती
एक आम लडकी
दुनिया की भीड़ में
असहाय, लड़खडाई-सी
उठकर गिरी, आन्सू छलकाती
गिरकर उठी, ज्वाला बनती
एक आम लड़की
अमीरो जेसी शान
दौलत नहीं चाहती
थोडा प्यार थोडा सम्मान
बस अपनी पहचान चाहती
मुझ जेसी एक आम लड़की !
-------------लेखिका- जयति जैन (नूतन) 'शानू'....... रानीपुर झांसी




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