अपने काम से मतलब रखना चाहिये...

कुछ शादीशुदा लोगों की बाहियात हरकतें
लेखिका- जयति जैन, रानीपुर झान्सी
शादीशुदा लोगों में एक बहुत बडी कमी और आदत होती है !
औरतों की बात करें तो
वह अपने मायके में अपने सगे भाइ-भाभी के बीच तुलना बहुत करती हैं ! उन्हें अपने भाइ में कभी कमी नजर नहीं आती भले पूरी दुनिया को उसमे कमी ही कमी दिखती हो,
और
अपनी भाभी में बस कमी ही कमी नजर आयेगी, क्युकिं ऐसी औरतों के दिमाग मे होता है कि भाभी तो दूसरे घर की है तो भाभी के मायके पक्ष की भी बुराई करवालो फ़िर...
मुझे ये समझ नहीं आता कि उनके मायके की भी तो कई लोग बुराइया गाते होगें , साथ ही उनके खुद ससुराल पक्ष की भी...
कई चीजों में खुद उनकी भी !

आदमी- औरत की सबसे बडी कमी -
जेसे कोई आदमी काम पे नहीं जाता, शराब पीता हो तब भी गलती औरत की ही समझी जाती है क्युं ?
कोई औरत इतनी बेब्कूफ़ तो होती नहीं है कि खुद के पैरों पे कुल्हाडी मार ले !
इलज़ाम उसपे यही लगता है कि समझा नहीं सकती अपने पति को, कुछ लोग तो ये तक बोलेगे कि
खुद आवारा है तो पति को भी बना दिया !
अरे अकल के दुश्मन, बाहियात लोग
क्या तुम्हें पता है कि घर की चार-दीवार के बीच क्या हो रहा है, एक पत्नी ने कितना अपने बिगडे पति को समझाया, कितनी मार खायी, कितनी मां-बहिन की गाली सुनी !
तुम लोग होते कौन हो, किसी औरत पे उन्ग्ली उठाने वाले ?
ऐसी बाते छोटी मानसिकता को जाहिर करती हैं ! इस मामले में शहरी लोग अच्छे हैं कि उन्हें टाइम ही नहीं किसी के फटे में टांग अडाने का !

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